नगर निगम की हंगामेदार बैठक में लगे देश के गद्दारो को गोली मारो सालो को

इंदौर:शाहीन बाग में मृत लड़की को श्रद्धांजलि देने पर निगम परिषद में हंगामा


FEBRUARY 19, 2020   yug ka insaf


इन्दौर/नगर निगम परिषद की आखिरी बैठक बुधवार को हंगामे के साथ शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष फाैजिया शेख ने जैसे ही शाहीन बाग में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई बच्ची की मौत पर श्रद्धांजलि दी, सत्तापक्ष उग्र हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि दाेनों ओर से जमकर नारेबाजी शुरू हो गई। विपक्ष के नेता बैठक में सीएए, एनआर और एनआरपी के विरोध में बैच लगाकर पहुंचे थे। हंगामा बढ़ा तो सत्तापक्ष ने “देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को” “वंदे मातरम” के नारे सदन में लगाए। इस पर विपक्ष ने पूछा कि देश का गद्दार कौन है, यह भी बताएं। इसके बाद विपक्षी पार्षद धरने पर बैठ गए।बुधवार को निगम परिषद की आखिरी बैठक आयाेजित की गई। नई परिषद के गठन होने तक शहर में ‘अफसर सरकार’ चलेगी। इसके साथ ही नगर निगम महापौर मालिनी गौड़ और 85 पार्षदों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। अंतिम दिन महापौर और पार्षद कार्यकाल का लेखा-जोखा पेश होना है। बैठक के बाद संभागायुक्त निगम प्रशासक का प्रभार संभालेंगे। इंदौर निगम में 26 साल बाद ऐसा होगा। इससे पहले 1994 तक प्रशासक निगम को चला रहे थे।


निगम परिषद की आखिरी बैठक हंगामे के साथ शुरू हुई। सीएए के विरोध में पार्षद पद से इस्तीफा देने वाले उस्मान पटेल को व्यवस्था नहीं देने पर उठाए गए सवाल। इस पर सभापति अजय सिंह नरूका ने पत्राचार के अभाव में व्यवस्था देने से इंकार किया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने शाहीन बाग में 4 माह की बच्ची की मौत पर श्रद्धांजलि दी। नेता प्रतिपक्ष के ऐसा करने पर सभापति ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे खारिज कर दिया। इसके बाद सदन में विवाद शुरू हो। सभापति की मौजूदगी में पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हो गए।


पार्षद अनवर दस्तक निगम परिषद की आखिरी बैठक में जलकार्य समिति के अध्यक्ष बलराम वर्मा पर खूब बरसे। नागरिकता कानून को लेकर हुई तीखी बहस में अनवर दस्तक ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार यह काला कानून वापस नहीं ले लेती तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे। इन प्रदर्शनों में मैं शामिल होऊंगा और इस तरह के प्रदर्शनों का समर्थन करूंगा। अगर आप जैसा कोई सीएए का समर्थन करेगा तो उससे बहस करने के लिए मैं हमेशा तैयार हूं।


बलराम वर्मा द्वारा सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध कर रहे विपक्षी पार्षदों पर टिप्पणी से विवाद की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि यह लोग कानून को समझे बिना उसका विरोध कर रहे हैं और सड़क को जाम कर रखा है। ऐसे लोगों को बलपूर्वक हटा दिया जाना चाहिए। इसका जवाब देते हुए पार्षद अनवर दस्तक ने कहा की सीएए संविधान विरोधी कानून है। देश के तमाम दलित संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं। तमाम बुद्धिजीवी और कानून के जानकार सीएए को संविधान विरोधी और एनपीआर, एनआरसी को बदनीयती से भरा कदम निरूपित कर रहे हैं। सांप्रदायिक तत्व समझना ही नहीं चाहते कि दलित और मुस्लिम समाज की चिंताएं क्या हैं। सरकार सुनना नहीं चाहती। ऐसे में प्रदर्शनकारियों के पास यही रास्ता बचता है कि वह गांधीवादी तरीकों से आंदोलन करे।